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लेखनी प्रतियोगिता -03-Jul-2022

नंगे पग

पहला कदम जब रखा जीवन में तो नंगे पाँव ही आया था
अंतिम यात्रा को जब जाएगा तो भी नंगे पाँव ही जाएगा

नहीं होगें ये पाव नंगे तो कैसे स्पर्श धरा कर पाएगा
जाएगा जो इबादत करने तब भी नंगे पाँव ही पाएगा

रखने को स्वस्थ शरीर को अपने नंगे पाँव ही घास पर चलता है
जाता है जब स्वप्न लोक में तो भी नंगे पाँव अपने को पाता है

जब भी कोई शुभ कार्य तू करता तो नंगे पाँव ही करता है
बिछा बिछाना नंगे पाँव ही बैठ भोजन ग्रहण करता है 

फिर क्यों किसी गरीब के नग्न पाँव देख मुँह फेर लेता है
कितना भी सजाले तू रंगीन पहनावे से पाँव को नंगे पैर तुझे भी रहना है

जिस दिन समझ जाएगा जीवन की विडंबना को बंदे 
उस दिन हर पाँव नंगा ही तुझे नजर आना है

श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद

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11 Comments

Chudhary

07-Jul-2022 12:10 AM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

06-Jul-2022 08:00 PM

बहुत खूब

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Pallavi

05-Jul-2022 02:57 PM

बहुत ही खूबसूरत

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